सूरज जल्दी आना जी
एक कटोरी, भर कर गोरी
धूप हमें भी लाना जी।
सूरज जल्दी आना जी।
जमकर बैठा यहाँ कुहासा
आर-पार न दिखता है।
ऐसे भी क्या कभी किसी के
घर में कोई टिकता है?
सच-सच जरा बेताना जी।
सूरज जल्दी आना जी।
कल की बारिश में जो भीगे।
कपड़े अब तक गीले हैं।
क्या दीवारें, क्या दरवाजे
सब-के-सब ही सीले हैं।
छोड़ो आज बहाना जी।
ना-ना ना-ना ना-ना जी।
सूरज जल्दी आना जी।।