Chapter 5 Dost Kee Poshaak
- BoardCBSE
- TextbookNCERT
- ClassClass 4
- SubjectHindi
- ChapterChapter 5 Dost Kee Poshaak
- Chapter NameChapter 5 Dost Kee Poshaak
- CategoryNCERT Solutions
NCERT Solutions for Class 4 Hindi Chapter 5 Dost Kee Poshaak
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NCERT Solutions for Class 4 Hindi Chapter 5 Dost Kee Poshaak
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Find detail NCERT Solutions for Class 4 Hindi Chapter 5 Dost Kee Poshaak (दोस्त की पोशाक)
तुम्हारे सवाल
कहानी के बारे में कोई पाँच प्रश्न बनाकर नीचे दी गई जगह में लिखो। फिर उनके उत्तर: लिखो।
Q1.नसीरुद्दीन किससे मिलकर बहुत खुश हुए?
उत्तर : नसीरुद्दीन अपने बहुत पुराने दोस्त जमाल साहब से मिलकर बहुत खुश हुए।
Q2.जमाल साहब ने नसीरूद्दीन के साथ उनके मोहल्ले में घूमने से क्यों मना कर दिया?
उत्तर : क्योंकि उन्होंने मामूली पोशाक पहन रखी थी।
Q3.“यह सुनकर जमाल साहब पर तो मानो घड़ों पानी पड़ गया।” क्या सुनकर जमाल साहब पर घड़ों पानी पड़ गया?
उत्तर : जमाल साहब नसीरुद्दीन की अचकन पहनकर उनके मोहल्ले में घूमने निकले। दोस्त को लेकर नसीरुद्दीन पड़ोसी के घर गए। पड़ोसी से उनका परिचय करवाते हुए नसीरुद्दीन ने कहा इन्होंने जो अचकन पहन रखी है, वह मेरी है। यह सुनकर जमाल साहब पर मानो घड़ों पानी पड़ गया।
Q4.नसीरुद्दीन ने किससे माफी माँगी?
उत्तर : नसीरुद्दीन ने अपने दोस्त जमाल साहब से माफी माँगी।
Q5.क्या नसीरुद्दीन ने जान बूझकर गलती की?
उत्तर : नहीं। दरअसल वह कम बुद्धि वाला आदमी था। उसे इतनी समझ नहीं थी कि कहाँ पर कैसी बातें करनी चाहिए।
तुम्हारी बात
नसीरुद्दीन और जमाल साहब बनठन कर घूमने के लिए निकले।
(क) तुम बनठन कर कहाँ-कहाँ जाते हो?
उत्तर : बनठन कर मैं विवाह-समारोह में, जन्मदिन समारोह में तथा मॉल में जाता हूँ।
(ख) तुम किस-किस तरह से बनते-ठनते हो?
उत्तर : मैं नए कपड़े और जूते पहनकर बनता-ठनता हूँ।
तुम्हारी समझ से
(क) तीसरे मकान से बाहर निकलकर जमाल साहब ने नसीरुद्दीन से क्या कहा होगा?
उत्तर : अब मुझे तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना है। मुझे वापस ले चलो।
(ख) जमाल साहब अपने मामूली से कपड़ों में घूमने क्यों नहीं जाना चाहते होंगे?
उत्तर : शायद उनका ख्याल हो कि आदमी की हैसियत की पहचान उसके कपड़ों से होती है। अगर वे मामूली से कपड़े पहनेंगे तो लोग समझेंगे कि वे मामूली या साधारण आदमी हैं।
(ग) नसीरुद्दीन अपनी अचकन के बारे में हमेशा क्यों बताते होंगे?
उत्तर : बस हँसने-हँसाने के लिए।
गपशप
जब जमाल साहब और नसीरुद्दीन हुसैन साहब के घर से बाहर निकले तो उन्होंने अपनी वेगम को नसीरुद्दीन और जमाल साहब से मुलाकात का किस्सा सुनाया। उन दोनों के बीच में क्या बातचीत हुई होगी? लिखकर बताओ।
बेगम – कौन आया था?
हुसैन साहब – नसीरुद्दीन अपने दोस्त के साथ आया था।
बेगम – दोस्त का नाम क्या था?
हुसैन – जमाल । वह उसका बहुत पुराना दोस्त था।
बेगम – तब, क्या-क्या बातें हुई?
हुसैन – तुम तो जानती ही हो नसीरुद्दीन को। क्या खूब इंसान है।
बेगम – इसका मतलब है उसने फिर कुछ मजेदार बात कही होगी।
हुसैन – हाँ, हाँ तुमने ठीक अनुमान लगाया। नसीरुद्दीन अपने दोस्त जमाल का परिचय कराते समय कह रहा था कि इन्होंने (जमाल ने अपनी ही अचकन पहन रखी है।
बेगम – तब तो जमाल साहब जरूर नसीरुद्दीन का ही अचकन पहनकर घूमने निकले होंगे।
हुसैन – मुझे भी ऐसा ही लगता है।
बेगम – तब तो जमाल साहब जरूर नाराज हुए होंगे।
हुसैन – उनके चेहरे से तो ऐसा ही लग रहा था।
घूमना-फिरना
नसीरुद्दीन ने कहा, “चलो दोस्त, मोहल्ले में घूम आएँ।”
जब नसीरुद्दीन अपने दोस्त से मिले, वे उसे अपना मोहल्ला दिखाने ले गए।
जब तुम अपने दोस्तों से मिलते हो, तब क्या-क्या करते हो?
उत्तर : जब मैं अपने दोस्तों से मिलता हूँ तो मैं भी आस-पड़ोस में घूमने जाता हूँ। ढेर सारी चीजें खरीदता हूँ। दोस्तों के साथ मनपसंद चीजें खाता हूँ। उनके साथ गपशप करता हूँ, खूब हँसता-हँसाता हूँ। कभी-कभी उनके साथ खेलता भी हूँ।
करके दिखाओ
नीचे कुछ वाक्य लिखे हैं। तुम्हें इनका अभिनय करना है। तुम चाहो तो कहानी में देख सकते हो कि इन कामों का ज़िक्र कहाँ आया है।
- बनठन कर घूमने के लिए निकलना।
- घड़ों पानी पड़ना।
- मुँह बनाकर शिकायत करना।
- गर्मजोशी से स्वागत करना।
- नाराज़ होना।
- देखते ही रह जाना।
उत्तर : विद्यार्थी स्वयं करें।
घड़ों पानी पड़ना
नसीरुद्दीन की बात सुनकर जमाल साहब पर तो मानो घड़ों पानी पड़ गया।
(क) घड़ों पानी पड़ना एक मुहावरा है। इसका क्या मतलब हो सकता है? पता लगाओ। तुम इसका मतलब पता करने के लिए अपने साथियों या बड़ों से बातचीत कर सकते हो या शब्दकोश देख सकते हो।
उत्तर : घड़ों पानी पड़ना का अर्थ है-शर्मिंदा होना।
(ख) इन मुहावरों को सुनकर मन में एक चित्र सा बनता है। तुम भी किन्हीं दो मुहावरों के बारे में चित्र बनाओ। कुछ मुहावरे हम दे देते हैं। तुम चाहो तो इनमें से कोई पसंद कर सकते हो
- सिर मुंडाते ही ओले पड़ना
- ऊँट के मुँह में जीरा
- दीया तले अँधेरा।
- ईद का चाँद
उत्तर : विद्यार्थी स्वयं करें।
कौन है कैसा
नसीरुद्दीन एक भड़कीली अचकन निकालकर लाए। भड़कीली शब्द बता रहा है कि अचकन कैसी थी। कहानी में से ऐसे ही और शब्द छाँटो जो किसी के बारे में कुछ बताते हों। उन्हें छाँटकर नीचे दी गई जगह में लिखो।
देखें, कौन सबसे ज़्यादा ऐसे शब्द ढूंढ़ पाता है।
पुराना दोस्त |
मामूली पोशाक |
खास दोस्त |
अन्य पड़ोसी |
अपनी अचकन |
तुम्हारा पड़ोसी |
अपने कपड़े |
इतनी सी बात |
तुम्हारी अकल |
भड़कीली, पुराना जैसे शब्द किसी के बारे में कुछ खास या विशेष बात बता रहे हैं। इसलिए इन्हें विशेषण कहते
पास-पड़ोस
पड़ोस के घर में जाकर नसीरुद्दीन पड़ोसी से मिले।
तुम अपने पड़ोसी बच्चों के साथ बहुत-से खेल खेलते हो। पर क्या तुम उनके परिवार के बारे में जानते हो? चलो, दोस्तों के बारे में और जानकारी इकट्ठी करते हैं। यदि तुम चाहो तो उनसे ये बातें पूछ सकते हो।
- घर में कुल कितने लोग हैं?
- उनके नाम क्या हैं?
- उनकी आयु क्या है?
- वे क्या काम करते हैं?
इस सूची में तुम अपने मन से बहुत-से सवाल जोड़ सकते हो।
उत्तर : विद्यार्थी स्वयं करें।
शब्दों का हेरफेर
झूठा – जूठा इन शब्दों को बोलकर देखो। ये मिलती-जुलती आवाज़ वाले शब्द हैं। ज़रा से अंतर से भी शब्द का अर्थ बदल जाती है।
नीचे इसी तरह के कुछ शब्दों के जोड़े दिए गए हैं। इन सबके अर्थ अलग-अलग हैं। इन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर :
घड़ा – आज मैंने मिट्टी काघड़ाखरीदा।।
गढ़ा – कुम्हार ने मिट्टी के बर्तनगढ़े।
घूम – मैं अभी-अभीघूमकर आया हूँ।
झूम – विशाल के जन्मदिन समारोह में सभी मस्ती मेंझूमरहे थे।
राज – भारत में अंग्रेजों काराजथा।
रज़ा – कहो तो मैं उसके राज़ की बात बता दें।
फन – मेरा दोस्त कार्टून बनाने केफनमें माहिर है।
फन – साँप काफनदेखो।
सज़ा – मेरे जन्मदिन के अवसर पर पूरा घरसजाथा।
सज़ा – गलत करने वाले कोसज़ाजरूर मिलनी चाहिए।
खोल – वह खिड़कीखोलकर छोड़ दिया।
खौल – आग पर पानीखौलरहा है।
दोस्त की पोशाक कहानी का सारांश
नसीरुद्दीन अपने बहुत पुराने दोस्त जमाल साहब से मिलकर बहुत खुश हुए। कुछ देर गपशप करने के बाद, उन्होंने दोस्त के साथ मोहल्ले में घूमने की इच्छा जाहिर की। जमाल साहब ने जाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वे इस मामूली-सी पोशाक में लोगों से नहीं मिल सकते। इतना सुनना था कि नसीरुद्दीन तुरंत उनके लिए अपनी एक भड़कीली अचकन निकाल कर लाए और कहा-इसमें तुम खूब अच्छे लगोगे।
बनठन करके दोनों घूमने निकले। दोस्त को लेकर नसीरुद्दीन पड़ोसी के घर गए। पड़ोसी से अपने दोस्त का परिचय कराते हुए उन्होंने यह भी बता दिया कि दोस्त द्वारा पहनी हुई अचकन उनकी (नसीरुद्दीन) है। यह सुनकर जमाल साहब का मुँह बन गया। उन्होंने नसीरुद्दीन से कहा-क्या यह बताना जरूरी था कि यह अचकन तुम्हारी है? तुम्हारा पड़ोसी सोच रहा होगा कि मेरे पास अपने कपड़े भी नहीं हैं। नसीरुद्दीन ने अपनी गलती स्वीकार कर ली।
अब नसीरुद्दीन अपने दोस्त को हुसैन साहब से मिलवाने ले गए। हुसैन साहब ने जब जमाल साहब के बारे में पूछा। तो नसीरुद्दीन ने कहा-जमाल साहब मेरे दोस्त हैं और इन्होंने जो अचकन पहनी है वह इनकी अपनी ही है। जमाल साहब फिर नाराज हो गए। उन्होंने नसीरुद्दीन से कहा कि पोशाक के बारे में कुछ नहीं कहना ही अच्छा है। अतः तुम इस विषय में चुप रहोगे।
नसीरुद्दीन जमाल साहब को लेकर आगे बढ़े और एक अन्य पड़ोसी से उनका परिचय करवाया-ये हैं मेरे बहुत पुराने दोस्त, जमाल साहब। इन्होंने जो अचकन पहनी है उसके बारे में मैं कुछ नहीं बोलूंगा।।
शब्दार्थ :गपशप-बातचीत । बनठन कर-सजधज कर। मुलाकात-भेंट। मामूली-साधारण। परिचय करवाना-किसी को किसी से मिलवाना और उसके बारे में बताना।
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