Chapter 1 Man ke Bhole-Bhaale Baadal

  • Board
    CBSE
  • Textbook
    NCERT
  • Class
    Class 4
  • Subject
    Hindi
  • Chapter
    Chapter 1 Man ke Bhole-Bhaale Baadal
  • Chapter Name
    Chapter 1 Man ke Bhole-Bhaale Baadal
  • Category
    NCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 4 Hindi Chapter 1 Man ke Bhole-Bhaale Baadal

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तुम्हारी समझ से

कभी-कभी ज़िद्दी बन करके

बाढ़ नदी-नालों में लाते

Q1. बादल नदी-नालों में बाढ़ कैसे लाते होंगे?

उत्तर : बादल अत्यधिक वर्षा बरसाकर नदी-नालों में बाढ़ लाते होंगे।

नहीं किसी की सुनते कुछ भी ।

ढोलक-ढोल बजाते बादल

Q2. बादल ढोल कैसे बजाते होंगे?

उत्तर : बादल आपस में टकराकर गर्जना करते हैं। उनकी यह गर्जना सुनकर ऐसा लगता है जैसे वे ढोल बजा रहे हैं।

कुछ तो लगते हैं तूफ़ानी

कुछ रह-रह करते शैतानी

Q3. बादल कैसी शैतानियाँ करते होंगे?

उत्तर : कभी तेज हवा के साथ पानी बरसा कर, कभी दिन रात मूसलाधार पानी बरसाकर बादल शैतानियाँ करते होंगे।

कैसा-कौन

कविता से आगे

Q4. तूफान क्या होता है? बादलों को तूफ़ानी क्यों कहा गया है?

उत्तर : तूफ़ान तेज हवा होती है। बादलों को तूफानी इसलिए कहा गया है क्योंकि कभी-कभी वे तेज हवा के साथ मूसलाधार वर्षा बरसाते हैं।

Q5. साल के किन-किन महीनों में ज़्यादा बादल छाते हैं?

उत्तर : जुलाई और अगस्त के महीनों में।

Q6. कविता में काले बादलों की बात की गई है। क्या बादल सचमुच काले होते हैं?

उत्तर : सभी-बादल काले नहीं होते। कुछ सफेद भी होते हैं।

Q7. कक्षा में बातचीत करो और बताओ कि बादल किन-किन रंगों के होते हैं।

उत्तर : विद्यार्थी स्वयं करें।

कैसे-कैसे बादल

Q8. तरह-तरह के बादलों के चित्र बनाओ।

उत्तर : विद्यार्थी स्वयं करें।

Q9. कविता में बादल को ‘भोला’ कहा गया है। इसके अलावा बादलों के लिए और कौन-कौन से शब्दों का इस्तेमाल किया गया है? नीचे लिखे अधूरे शब्दों को पूरा करो।

उत्तर : मतवाले ज़िद्दी

शैतान तूफ़ानी

बारिश की आवाजें

कुछ अपने थैलों से चुपके

झर-झर-झर बरसाते पानी

पानी के बरसने की आवाज़ है झर-झर-झर!

पानी बरसने की कुछ और आवाजें लिखो।

उत्तर :

टप-टप-टप छप-छप-छप

टिप-टिप-टिप रिमझिम-रिमझिम

कैसे-कैसे पेड़

बादलों की तरह पेड़ भी अलग-अलग आकार के होते हैं। कोई बरगद-सा फैला हुआ और कोई नारियल के पेड़ जैसा ऊँचा और सीधा। अपने आसपास अलग-अलग तरह के पेड़ देखो। तुम्हें उनमें कौन-कौन से आकार दिखाई देते हैं? सब मिलकर पेड़ों पर एक कविता भी तैयार करो।

उत्तर :

विद्यार्थी स्वयं करें।

मन के भोले-भाले बादल कविता का सारांश

इस कविता में भिन्न-भिन्न प्रकार के बादलों का चित्रण किया गया है। कवि कहता है कि इन बादलों के बाल झब्बरदार हैं और गाल गुब्बारे जैसा है। कुछ बादल जोकर की तरह तोंद फुलाए हैं कुछ हाथी-से सँड़ उठाएं हैं। कुछ ऊँटों-से कूबड़ वाले हैं और कुछ बादलों में परियों-से पंख लगे हैं। ये सभी बादल आपस में टकराते रहते हैं और शेरों से मतवाले लगते हैं। कवि आगे कहता है कि कुछ बादल तूफानी हैं, और शैतान हैं। वे अपने थैलों से अचानक पानी बरसा देते हैं। ये बादल कभी किसी का कुछ नहीं सुनते हैं। रह-रहकर छत पर दिख जाते हैं और फिर तुरंत उड़ जाते हैं। कभी-कभी ये बादल जिद पर अड़ जाते हैं और इतना पानी बरसाते हैं कि नदी-नालों में बाढ़ आ जाती है। कवि कहता है कि इन सबके बावजूद ये बादल अच्छे लगते हैं। ये मन के भोले-भाले हैं।

काव्यांशों की व्याख्या

1. झब्बर-झब्बर बालों वाले

गुब्बारे से गालों वाले

लगे दौड़ने आसमान में

झूम-झूम कर काले बादल।

कुछ जोकर-से तोंद फुलाए

कुछ हाथी-से सँड़ उठाए

कुछ ऊँटों-से कूबड़ वाले

कुछ परियों-से पंख लगाए

आपस में टकराते रह-रह

शेरों से मतवाले बादल।

शब्दार्थ : तोंद-मोटा पेट। मतवाले–मनमौजी।

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘रिमझिम भाग-4’ में संकलित कविता ‘मन के भोले-भाले बादल’ से ली गई हैं। इसके कवि हैं-श्री कल्पनाथ सिंह। इसमें कवि ने बादल के भिन्न-भिन्न रूपों का वर्णन किया है।

व्याख्या-कवि कहता है कि बादलों के बाल झब्बरदार हैं। उनके गाल गुब्बारे जैसे हैं। वे आसमान में दौड़ने लगे। हैं। वे काले बादल हैं और झूम-झूम कर इधर-उधर आ-जा रहे हैं। कवि आगे कहता है कि कुछ बादल जोकर-जैसा पेट फुलाए हैं और कुछ हाथी से सँड़ उठाएँ हैं। कुछ बादलों के ऊँट-जैसे कूबड़ हैं और कुछ के परियों जैसे पंख हैं। ये सभी बादल आपस में रह-रहकर टकरा रहे हैं। ये शेरों जैसे मतवाले लगते हैं।

2. कुछ तो लगते हैं तूफ़ानी

कुछ रह-रह करते शैतानी

कुछ अपने थैलों से चुपके

झर-झर-झर बरसाते पानी

नहीं किसी की सुनते कुछ भी

ढोलक-ढोल बजाते बादल ।।

रह-रहकर छत पर आ जाते

फिर चुपके ऊपर उड़ जाते

कभी-कभी जिद्दी बन करके बाढ़ नदी-नालों में लाते

फिर भी लगते बहुत भले हैं।

मन के भोले-भाले बादल।

शब्दार्थ : तूफानी-तूफ़ान की तरह। जिद्दी-हठी। भले-अच्छे। भोले-भाले-निश्छल

प्रसंग-पूर्ववत् ।।

व्याख्या- बादलों के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए कवि कहता है कि कुछ बादल बिल्कुल तूफ़ान जैसे लगते हैं। वे रह-रहकर शैतानी रुख अपना लेते हैं। और अपने थैलों में से झर-झर-झर पानी बरसा देते हैं।

कवि कहता है कि ये बादल कभी किसी को कुछ नहीं सुनते। बस आपस में टकराकर गर्जना करते रहते हैं, जिसे सुनकर ऐसा लगता है कि जैसे वे ढोल बजा रहे हों। ये बादल कभी छत पर दिख जाते हैं, फिर उड़ जाते हैं। कभी-कभी जिद पर अड़ जाते हैं और इतना पानी बरसाते हैं कि सभी नदी-नालों में बाढ़ आ जाती है। कवि कहता है कि इन सबके बावजूद ये बादल बहुत अच्छे हैं। ये मन के भोले-भाले हैं।

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Chapter 1 Man ke Bhole-Bhaale Baadal
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